अड़सठ तीर्थ हिंदुओं ने माने हैं,जिनमें स्नान करने सेपरम मुक्ति मिलती है।लेकिन वे अड़सठ तीर्थ तोनक्शे पर बताए गएतीर्थों की भांति हैं।
शरीर के भीतरअड़सठ बिंदु हैं,जिनसे गुजर कर पुण्य कीउपलब्धि होती है।हिंदुओं ने बड़ाअदभुत काम किया है।पृथ्वी पर किसी जाति नेऐसा अदभुत काम नहीं किया।
बाहर तो प्रतीक हैं औरउन प्रतीकों में जब हमभटक गए तो हिंदुओं कीसारी जीवन-चेतना खो गई।हम कहते हैं कि गंगा जलरामेश्वरम में ले जा कर चढ़ा रहे हैं।भीतर शरीर के बिंदु हैं।
एक बिंदु से ऊर्जा को लेना हैऔर दूसरे बिंदु पर चढ़ाना है।एक बिंदु से ऊर्जा को खींचना हैऔर दूसरे बिंदु तक पहुंचाना है।तब तीर्थ यात्रा हुई।पर हम अब पानी ढो रहे हैं,गंगा से और रामेश्वरम तक।हमने पूरी पृथ्वी कोनक्शे की तरह बना लिया था,आदमी का फैलाव।आदमी के भीतर बड़ासूक्ष्म है सब कुछ।
उसको समझाने के लिएये प्रतीक थे।और इन प्रतीकों कोहमने सत्य मान लिया तोहम भटक गए।प्रतीक कभी सत्य नहीं होते,सत्य की तरफ इशारे होते हैं।
ओशो.....♡
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