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Friday, 1 April 2016

तुम किसी को बदलना चाहते हो , तब वह कभी नही बदलेगा ,लेकिन जो है ,जैसा है, उसे प्रेम करते रहो , वह बदलना आरम्भ हो जाता है !

तुम किसी को बदलना चाहते हो , तब वह कभी नही बदलेगा ,लेकिन जो है ,जैसा है, उसे प्रेम करते रहो , वह बदलना आरम्भ हो जाता है !

वैसे ही जैसे तुम हो जो परम ने तुम्हेदिया, जैसा परम तुम्हे बनाया सभी ओरसे स्वीक्रति हो जाओ! बस परमात्मा तुम्हे बदलना आरम्भ देगा ! दुसरे को बदलना हैतब उसे सिर्फ प्रेम करो उससे कोई शिकायत न करो वह तुम्हारी इच्छा अनुचार बदलाना आरम्भ हो जायेगा !

जब तुम डरा धमका कर और भयभीत करके उसे बदलना चाहते है ,तब नही बदलेगा ! लेकिन वह जो करता है उसे करने दो और प्रेम करते रहो ! उसमे बदलाव आरम्भ हो जायेगा ! तुम अपने आप को बदलना चाहते हो! तब यही सूत्र काम आता है !

तुम परमात्मा से कोई शिकायत या मांग न करो वह जैसा जो करवाता है उसे करते जाओ सिर्फ परम के गुलाम बन जाओ और उसेके हर सुख दुःख में उससे प्रेम करते हो तुम्हे कोई बदलना नहीहै!

सिर्फ तुम्हारे और परमात्मा के बिच काजो संवाद है उसे बदलना है ! उस सम्प्रण में तुम्हे परमात्मा मोत भी देती है तो वह जीवन भी दे देगा! उसने जो तुम्हे दिया है,जो अभी तुम्हे बनाया है उसे सब तरफ से स्वीकार कर लो !

कोई तपस्या नही करनी . कोई विधि से ध्यान नही करना है,कोई पूजा प्राथना नही करनी है ,वह जैसा आपके जीवन को मोड़ रहा उसे मोड़ने दो औरसिर्फ प्रसन्नरहो की जो भी हो रहा है शुभ ही हो रहा है ! सिर्फ स्वीक्रति मात्र चाहिए !

कही लड़ना नही , कही कोई बड़ा संघर्ष नही , उस अवस्था में तुम्हे जो परम बना देगा !जो परिवर्तन देगा जो बदलाव देगा जिसकी आपके पास कोई कल्पना नही है !

तुम्हारा स्म्प्रण दूसरानही देखता है इसलिए यह तुम करने को तेयार नही हो तुम वह करना चाहते जिसमे दूसरा प्रभावित हो ! उसमे तुम्हारा कोई बदलाव नही होता है !

जैसे दिखावी धार्मिकता त्याग ,वस्त्रधारण ,उलटेसीधे दिखाने की साधना उसमे तुम परिवर्तन नही होते है ! वहएक पाखंड का मार्ग है !इन मार्गो से किसी ने कुछ पाया नही है !परमात्मा के प्रति जिसने गुप्त मार्ग अपना लिया, गुप्त स्म्प्रण कर दिया ,गुप्त रूप से प्रेम से सभी के प्रति प्रेम में रहा उसे ही परमात्मा का गुप्त खजाना मिलता है !

उसे बदलाव मिलता है ! सत्य इन आंखे नही देखा जा सकता है, उसी तरह सत्य में होने या परम को सम्प्रण यह सब कुछ गुप्त होना आवश्यक है ! यह परम में होने का प्रथम सूत्र है ! कोई विधि नही, कोई साधना नही ,कोई सन्यास नही, कोई धर्मकर्मकांड नही !

जहा हो जैसे हो कुछ भी अपने को बदलाव के लिए अलग कुछ नही करना है ! इस मार्ग में सभी साधना सभी धर्म फीके है !जबकि तुम क्या कर रहो किसी को कुछ मालूम नही होगा और तुम्हे क्या मिलेगा उसका भी किसी को मालूम नही पड़ेगा लेकिन वह इसी जगह इसी हालत में ,उसी गरीबीमें, उसी रहन सहन भोजन आवास में तुम सर्वगहोंगे !

यह सत्य के लिए प्रमाणिक मार्ग है! लेकिन हमारे अंदर असत्य भरा पड़ा है इसलिए पाखंड लुटेरे भगवान मालूम पड़ते है तब सभाविक है वह तुम्हारे कर्मो का ही मार्ग है ! जो तुम पाखंड का साथ किये हुए है!

OSHO LOVE

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