★★★● अगर डूबना है तो पूरी तरह डुबो ●★★★इश्क करता है तो फिर इश्क की तौहीन न करया तो बेहोश न हो, तो न फिर होश में आ ।।
या तो डूबना है तो पूरे ही डूब जाओ, यह निकम्मा होने का जो पाठ मैं पढ़ा रहा हूं इसमें फिर पूरी तरह हो जाओ।
यही तो अकर्म है, निष्काम है।
अगर थोड़ी भी शक - शुबहा मनमें हो, थोड़ा भी संदेह हो, तो जितने जल्दी भाग सको भाग जाओ, दूर निकल सको निकल जाओ।
क्योंकि ज्यादा देर रुक गए बुरी संगत में, तो फिर बिलकुल सदा के लिए निकम्मे होजाओगे।
अगर संसार में थोड़ा भी रस है, तो यह बुरी संगत है।
अगर संसार में कोई रस न रहा, तो यह सत्संग है।निकम्मे होकर काम के हो जाओगे।
बेहोश होकर एक ऐसे होश को उपलब्ध होओगे जिसको फिर कोई बेहोशी छू नहीं सकती।दीवानगी-ए-इश्क के बाद आ ही गया होशऔर होश भी वो होश कि दीवाना बना दे ।।
~ ओशो ~
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