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Monday, 21 March 2016

परीक्षण प्रयोशालाओं की तस्वीरें आई हैं। अब वे फिल्म बनाने लगे हैं–सोते हुए आदमियों की। यदि आप अपनी फिल्म देखसकें कि आप सोते में कितनी गति कर रहे हैं, तो आप देखेंगे कि सारी रात आप

परीक्षण प्रयोशालाओं की तस्वीरें आई हैं। अब वे फिल्म बनाने लगे हैं–सोते हुए आदमियों की। यदि आप अपनी फिल्म देखसकें कि आप सोते में कितनी गति कर रहे हैं, तो आप देखेंगे कि सारी रात आप कितने परेशान है।

और आपके शरीर की गतियों से यह देखा जा सकता है कि भीतर काफी कुछ हो रहा है! चेहरे की बहुत सी आकृतियां बनती है, हाथों के, उंगलियों के व शरीर के अनगिनत हाथ-भाव होत हैं। अवश्य एक पागल आदमी आपके भीतर होना चाहिए, अन्यथा ये हाथ-भाव असंभव हैं।

परन्तु आपको कभी पता ही नहीं चलता कि आपको क्या हो रहा है। कोई सजग नहीं है। प्रत्येक सोया है, कोई भी जागा हुआ नहींहै। आपको पता ही नहीं है कि आप नींद में अपने शरीर केसाथ क्या कर रहे हैं। परन्तु वह करना मन के कारण है। एक अशांत चित्त ही शरीर के द्वारा प्रतिबिंबित हो रहा है।

एक बुद्ध मूर्तिवत बैठते हैं। ऐसा नहीं है कि उन्होंने शरीर को जबरन वैसेबिठलाया है। मन स्थिर हो गया है, और शरीर उसकी स्थिरता प्रतिबिंबित करता है, क्योंकि अन्य कुछ भी प्रतिबिंबित करने को नहीं है।

एक बार बुद्ध एक बड़ी राजधानी में अपने दस हजार भिक्षुओं के साथ ठहरे थे। वहां का राजा भी दिलचस्पीलेने लगा। किसी ने उससे कहा–आपको इस आदमी से मिलने के लिए अवश्य जाना चाहिए। उस राजा का नाम था अजातशत्रु, जिसका मतलब होता है कि उसका कोई शत्रु ही नहीं है।

इस जगत में, जिसका कोई शत्रु पैदा ही नहीं हुआ, और हो भी नहीं सकता। परन्तु यह अजातशत्रु अपने दुश्मनों से बहुत डरा हुआ रहता था।इसको दिलचस्पी पैदा हुई क्योंकि कई आदमी उसके पास आए और उन्होंने कहा–आपको अवश्य ही आना चाहिए और देखना चाहिए।

यह आदमी बड़ा विचित्र है। आएं औरदेखें।इसलिए वह आता है। वह उस कुंज में, उस बागमें पहुंचता है। शाम हो चुकी है। वह अपने मंत्रियों से पूछता है–तुम क्या सोचते हो? यहां पर दस हजार भिक्षु उपस्थित हैं, परन्तु कोई शोर सुनाई नहीं पड़ता! क्या तुम मुझे धोखा दे रहे हो? वह अपनी तलवार निकाल लेता है। वह सोचता है कि उसके साथ कोई धोखा करके उसको इस जंगल में लाया गया है और अब ये लोग उसे मारने जा रहे हैं।

दस हजार भिक्षु इन पेड़ों के पीछे हैं और कोई आवाज नहीं! जंगल बिलकुल शांत है और अजातशत्रु कहता है–मैं इस जंगल में कितनी बार आया हूं। यह पहले तो कभी भी इतना शांत नहीं था। जब यहां कोई भी नहीं था, तब भी यह इतना शांत नहीं था। अबचिड़ियां भी चुप हैं। क्या मतलब है तुम्हारा? क्या तुम मुझे धोखा देना चाहते हो?उन्होंने कहा, डरें नहीं। बुद्ध यहां ठहरे हैं। इसी कारण जंगल इतना शांत हो गया है और यहां तक कि चिड़ियां भी चुप हैं।

आप आ जाएं।वह आता है, परन्तु उसने अपनी तलवार अपनेहाथ में ले रखी है। वह डरा हुआ है और कांप रहा है और वे उसे जंगल में ले जा रहा हैं, जहां कि बुद्ध और दस हजार भिक्षु पेड़ों के नीचे बैठे हैं। प्रत्येक पत्थर की मूर्ति की तरह स्थिर है। वह बुद्ध से पूछता है–इन सब लोगों को क्या हो गया है? क्या ये मर गए हैं? मैं तो डर गया हूं। ये सब भूत जैसे लगते हैं। कोई हिलता तक नहीं इनकी आंखें तक भी नहीं हिलती।

क्या हो गया है इनको? बुद्ध कहते हैं–बहुत कुछ हो गया इनको। ये अब पागल नहीं रहे।जब तक कि कोई इतना शांत व स्थिर न हो जाएवह नहीं जान सकता कि अस्तित्व क्या है, जीवन का क्या अर्थ है, उसका क्या आनंद है, उसकी क्या अनुकंपा है।

ओशो,
आत्म पूजा उपनिषाद, भाग -1

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