अगर एक गांव में एक आदमी भी है, जो जानताहै कि आत्मा अमर है, तो उस गांव का पूरा वातावरण, उस गांव की पूरी की पूरी हवा, उस गांव की पूरी की पूरी जिंदगी बदल जाएगी।
एक छोटा —सा फूल खिलता है और दूर —दूर के रास्तों पर उसकी सुगंध फैल जाती है। एक आदमी भी अगर इस बात को जानता है कि आत्मा अमर है, तो उस एक आदमीका एक गांव में होना पूरे गांव की आत्मा की शुद्धि का कारण बन सकता है।
लेकिन हमारे मुल्क में तो कितने साधु हैं और कितने चिल्लाने और शोरगुल मचानेवाले लोग हैं कि आत्मा अमर है। औरउनकी इतनी लंबी कतार, इतनी भीड़ और मुल्कका यह नैतिक चरित्र और मुल्क का यह पतन!यह साबित करता है कि यह सब धोखेबाज धंधा है।
यहां कहीं कोई आत्मा —वात्माको जानने वाला नहीं है। यह इतनी भीड़, इतनी कतार, इतनी मिलिटरी, यह इतना बड़ा सर्कस साधुओं का सारे मुल्क में —कोई मुंह पर पट्टी बांधे हुए एक तरह का सर्कस कर रहे हैं, कोई डंडा लिये हुए दूसरे तरह का सर्कस कर रहे हैं, कोई तीसरे तरह का सर्कस कर रहे हैं —यह इतनी बड़ी भीड़ आत्मा को जानने वाले लोगों की हो और मुल्क का जीवन इतना नीचे गिरता चला जाए, यह असंभव है।
मैं मृत्यु सिखाता हूं
ओशो
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