NEWS UPDATE

Blogger Tips and TricksLatest Tips And TricksBlogger Tricks

Thursday, 31 March 2016

प्रश्न: दुनिया में इतनी गलतफहमी क्योंहै? क्योंकि लोग बेहोश हैं, क्योंकि लोग गहरीनींद में हैं, क्योंकि लोग रोबोट की तरहहैं।संवाद असंभव है; तुम कुछ कहते हो, कुछ औरहीसमझा जायेगा।संवाद का एकमात्र ढंग है प्रेम में, मौनमें। लेकिन कोईनहीं जानता कि प्रेम में कैसे हों, औरकिसी को पता नहीं कि मौन कैसे हों! जबकिसिर्फ प्रेम और मौन में संवाद संभव है।

प्रश्न:
दुनिया में इतनी गलतफहमी क्योंहै?

क्योंकि लोग बेहोश हैं, क्योंकि लोग गहरीनींद में हैं, क्योंकि लोग रोबोट की तरहहैं।संवाद असंभव है; तुम कुछ कहते हो, कुछ औरहीसमझा जायेगा।संवाद का एकमात्र ढंग है प्रेम में, मौनमें। लेकिन कोईनहीं जानता कि प्रेम में कैसे हों, औरकिसी को पता नहीं कि मौन कैसे हों! जबकिसिर्फ प्रेम और मौन में संवाद संभव है।

लेकिन हम बौद्धिकता सेभरे हैं, इसलिए संवाद असंभव है। दुनिया में इतनीगलतफहमी के लिए भाषा भी एक कारणहै।मौन से संवाद स्थापित करना प्रारंभ करो। अपने मित्र का हाथ अपनेहाथ में ले लो, मौन बैठ जाओ।

चाँद को देखो, चाँद को महसूस करो,और दोनों मौन में इसे महसूस करो। और तुम देखोगे, वहां संवादघटता है --
सिर्फ संवाद ही नहीं बल्किसम्प्रेषण घटता है। और तुम्हारे हृदय एक ही लयमें धड़कने लगते हैं, तुम अपने भीतर एकही आकाश, एक ही आनंद महसूस करनेलगते हो। और तब तुमदोनों एक-दूसरे के होने पर ओवरलैप करनेलगते हो। वहां संवाद है! तुमने बिना कुछ कहे कह दिया, और वहांकिसी तरह का गलत समझना नहीं होगा।

अगर तुम गलतफहमी को टालना चाहते हो तो तुम्हेंअनिवार्य रूप से मौन सीखना होगा। अगर तुम मौनसीखते हो तो पहली चीज यहहोगी कि तुम कभी किसी कोगलत नहीं समझोगे। और यह बहुत बड़ा आनंद है --किसी को भी गलत नहींसमझना! तब तुम अच्छे श्रोता हो गए, तुम सम्यक श्रवण जानोगे।और हर चीज तुम्हारे लिए स्पष्ट और साफ-सुथरी होगी।

यह स्पष्टता तर्क से नहीं आएगी,बौद्धिकता से नहीं आएगी, विश्लेषण सेनहीं आएगी -- यह स्पष्टता मौन के द्वाराआती है। अगर तुम्हारे मौन में किसी केशब्द उतरते हैं तो तुम गलत अर्थ नहीं लगाओगेक्योंकि वहां कोई दखल देने वाला नहीं है; या तो तुमसमझते हो या तुम नहीं समझते, लेकिन वहांगलतसमझने का कोई कारण नहीं है।मौन सीखो! और कम से कम अपने मित्र के साथ,अपने प्रेमी के साथ, अपने परिवार के साथ, या यहांपर, कभी-कभी मौन में बैठो। गपशप मतकरते रहो, बातचीत मत करते रहो।

बातचीत बंद करो, और सिर्फ बाहर हीनहीं, भीतरीबातचीत भी बंद करो। अंतराल में बने रहो।बस बैठ जाओ, कुछ नहीं करो, सिर्फ एक-दूसरे केलिए उपस्थित रहो। और जल्दी ही तुमसंवाद का एक नया ढंग पा लोगे, और वहीसही ढंग है

परम प्यारे ओशो
दिस वेरी बॉडी दि बुद्धा

No comments:

Post a Comment