इस दुनिया में हम जो पढ़ रहे है, वह एक-दूसरे परसवारी करते के उपाय है ! यहां पढना तुम्हारे संघर्षका आयोजन है ! तुम ठीक से लड़ सकोगे अगरतुम्हारे पास डिग्रियां है !तुम दूसरोके कंधो पर सवार हो सकोगेअगर तुम्हारे पास डिग्रियां है !
ये विधालय तुम्हारे हिंसा के फैलावहै ! इनके कारण तुम ज्यादा कुशलता से शोषण कर सकोगे ! दूसरोको व्यवस्था से सता सकोगे ! कानून से जुर्म कर सकोगे ! नियमसे, विधि से वह सब कर सकोगे जो कि नही करनाचाहिए ! सारी पढाई-लिखाई बेईमानी काप्रशिक्षण है ! तुम लोगो पर सवार हो सकोगे ! इससेकभी कोई ज्ञानी तो नहीहुआ ! इससे ही तो लोग अज्ञानी होतेचले जाते है ! हमारे विधालय अविधालय है! वहां ज्ञान तोकभी घटता नही !
नानक को उनके स्कूल का अध्यापक पंडित छोड़ गया घर, यहअपने बस के बाहर है !नानक का जनेउ हो रहा था , तो सारा समारंभहो गया था ! सब लोगआ गए थे ! बैंड-बाजे बज चुके थे, पंडित सूत्र पढ़ चुका था ! फिरवह गले में जनेउ डालने लगा तो जनेउ डालने लगा तो नानक ने कहा,रुको !
इस जनेउ के डालने से क्या होगा ? उस पंडित ने कहा किइस जनेउ के डालने से तुम द्विज हो जाओगे ! नानक ने पूछा किद्विज का क्या अर्थ है ? द्विज का अर्थ है कि दुबारा जन्म ! क्याइस सूत के धागे को डाल लेने से मेरा दुबारा जन्म हो जाएगा ? क्या मैंनया हो जाऊंगा ? क्या पुराना मर जाएगा और नए का जन्म होजाएगा ?
अगर यह होता हो तो मैं तैयार हूं !पंडित भी डरा ! क्योंकि माला गले में डाल लेने से जनेउकी क्या होने को है ? फिर नानक ने पूछा कि यह जनेउअगर टूट गया तो ? उसने कहा कि बाज़ार में और मिलते है ! इसकोफेंक देना , दूसरा ले लेना ! तो नानक ने कहा कि फिर यह रहनेही दो जो खुद टूट जाता है , जो बाज़ार में बिकता है, जोदो पैसे में मिल जाता है, उससे उस परमात्मा की क्याखोज होगी ?
जिसको आदमी बनाता है ,उससे परमात्मा की क्या खोज होगी !आदमी का कृत्य छोटा है !
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ओशो
(एक ओंकारसतनाम )
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