NEWS UPDATE

Blogger Tips and TricksLatest Tips And TricksBlogger Tricks

Wednesday, 23 March 2016

मैं एक डाक्टर को जानता हूं; उनके घर मैं मेहमान होता था, बैठकर मैं देखता कि वह मरीजों को डरवाते। जिसको सर्दी—जुकाम हुआ है, उसको वह एकदम इस तरह बात करते जैसेनिमोनिया हो गया है कि डबल निमोनिया हो गया है। मैंने यह दो—चार बार देखा। मैंने उनसे पूछा कि बात क्या है? आप मरीज को बहुत घबड़ा देते हैं! उन्होंने कहा: मरीज को घबड़ाओ मत, तो मरीज फंदे में नहीं आता। मालूम है मुझे भी सर्दी—जुकाम है, लेकिन निमोनिया की बात करो तो मरीज घबड़ाता है।

मैं एक डाक्टर को जानता हूं; उनके घर मैं मेहमान होता था, बैठकर मैं देखता कि वह मरीजों को डरवाते। जिसको सर्दी—जुकाम हुआ है, उसको वह एकदम इस तरह बात करते जैसेनिमोनिया हो गया है कि डबल निमोनिया हो गया है। मैंने यह दो—चार बार देखा। मैंने उनसे पूछा कि बात क्या है? आप मरीज को बहुत घबड़ा देते हैं! उन्होंने कहा: मरीज को घबड़ाओ मत, तो मरीज फंदे में नहीं आता। मालूम है मुझे भी सर्दी—जुकाम है, लेकिन निमोनिया की बात करो तो मरीज घबड़ाता है।

हालांकि सर्दी—जुकाम है, इसलिए ठीक भी कर लेंगे जल्दी, कोई अड़चन भी नहीं है। और मरीज को अगर यह खयाल रहे कि निमोनिया ठीक किया गया है, तो वह सदा के लिए अपना हो जाता है। और इतनी जल्दी ठीक किया गया! तो दोहरे फायदे हैं! पर मैंने कहा, यह तो बात गलत है, यह तो बात अनुचित है। तुम तो धर्म—पुरोहितों जैसा काम कर रहे हो!मगर बहुत डाक्टर हैं जो इस तरह जीते हैं, जो तुम्हारी छोटी—सी बीमारी को खूब बड़ा करके बता देते हैं। और मजा ऐसा है कि मरीज इन्हीं डाक्टरों से प्रसन्न होता है।

जो उसकी बीमारी को खूब बड़ा करके बता देते हैं, वे ही उसको बड़े डाक्टर भी मालूम होते हैं। अगर तुम समझ रहे हो कि तुम्हें निमोनिया हुआ है, और तुम गए और कोई डाक्टर कह दे: छोड़ो बकवास, सर्दी—जुकाम है, दो दिन में चला जाएगा। तुम प्रसन्न नहीं होते; तुम्हारा चित्त राजी नहीं होता; तुमको चोट लगती है

तुम इतनी बड़ी बीमारी लेकर आए——तुम कोई छोटे—मोटे आदमी हो! तुम्हें कोई छोटी—मोटी बीमारियां होती हैं! बड़े आदमियों को बड़ी बीमारियां होती हैं। तुम बड़े आदमी हो, तुम बड़ी बीमारी लेकर आए हो और यह बदतमीज कहता है कि सर्दी—जुकाम है बस, ठीक हो जाएगा, ऐसे ही ठीक हो जाएगा।

जो डाक्टर मरीज से कह देता है ऐसे ही ठीक हो जाएगा, उससे मरीज प्रसन्न नहीं होते।मेरे गांव में एक नए डाक्टर आए। सीधे—सादे आदमी थे। उनकी डाक्टरी न चले।किसी ने मेरी उनसे पहचान करा दी। उन्होंने मुझसे पूछा कि मामला क्या है? मेरी डाक्टरी क्यों नहीं चलती? मैंने कहाकि मैं जरा आऊंगा, देखूंगा एक—दो दिन बैठकर कि बात क्या है।तो उनकी बैठ जाता था डिस्पेंसरी पर जाकर। जो मैंने देखा, तो मामला साफ हो गया।

वह मरीजों को डरवाते न। मरीज बता रहा है बड़ी बीमारी, वह कहते: यह कुछ नहीं है, यह मिक्शचर ले लो, ठीक हो जाएगी। किसी—किसी मरीज को कह देते कि तुम्हें बीमारी ही नहीं है, दवा की कोई जरूरत नहीं है। और मरीज अपनी बीमारी की कथा कह भी न पाता और वह मिक्शचर तैयार करने लगते।

मैंने उनके मरीजों से पूछा। उन्होंने कहा कि हमें यह बात जंचती नहीं। हम अभी अपनी बीमारी की पूरी बात भी नहीं कह पाए और यह सज्जन जल्दी से दवाई बनाने लगते हैं।कुशल डाक्टर थे, मगर कुशल राजनीतिज्ञ नहीं थे।

मरीज को सिर्फ बीमारी ही थोड़े हीठीक करवानी है, मरीज को कुछ और रस भी है——उसकी बात ध्यान से सुनी जाए, उस पर ध्यान दिया जाए। तड़प रहा है, कोई ध्यान नहीं देता। घर जाता है, कहता है सिर में दर्द, तो पत्नी कहती है, लेटे रहो, ठीक हो जाएगा। कोई ध्यान नहीं देता।

कोई उसकी चारों तरफ खाट के बैठकर हाथ—पैर नहीं दबाता। कोई कहता नहीं कि अहा! ऐसा सिरदर्दकभी किसी को नहीं हुआ। कितनी मुसीबत में पड़े हो! कैसा कष्ट झेल रहे हो! हम बच्चों के लिए, पत्नी के लिए, परिवार के लिए कैसा महान हिमालय सिर पर ढो रहे हो! उसी से सिरदर्द हो रहा है——कोई उस पर ध्यान नहीं देता।

और यह डाक्टर के पास आया है; यहमिक्शचर बनाने लगा, इसने मरीज की बात ही नहीं सुनी।होम्योपैथी डाक्टरों का बड़ा प्रभाव का एककारण है कि वे खूब लंबी चर्चा सुनते हैं; तुम्हारी ही नहीं, तुम्हारे पिता को भी क्या बीमारी हुई थी, उसकी भी तुमसे पूछते हैं।

पिता के पिता को भी क्या हुई थी, उसकीभी तुमसे पूछते हैं। बचपन से लेकर अब तक कितनी बीमारियां हुईं, वह सब पूछ लेते हैं। मरीज को बड़ी राहत मिलती है——यह कोईआदमी है जो इतना रस ले रहा है!पश्चिम में मनोवैज्ञानिकों का बहुत प्रभाव है, क्योंकि वे घंटों तुम्हारी बकवास सुनते हैं; मगर इतने ध्यान से सुनतेहैं जैसे तुम अमृत वचन बोल रहे हो।

कहै वाजिद पुकार,
प्रवचन-६,
ओशो

No comments:

Post a Comment