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Sunday, 27 March 2016

★★ सारी दुनिया में स्त्रियों का शारीरिक दमन ★★हम शारीरिक गति का दमन करते हैं। विशेषकरहम स्त्रियों को दुनियाभर में शारीरिक हलन - चलन करने से रोकते हैं। वे संभोग में लाश

★★ सारी दुनिया में स्त्रियों का शारीरिक दमन ★★हम शारीरिक गति का दमन करते हैं।

विशेषकरहम स्त्रियों को दुनियाभर में शारीरिक हलन - चलन करने से रोकते हैं। वे संभोग में लाश की तरह पड़ी रहती हैं। तुम उनके साथ जरूर कुछ कर रहे हो, लेकिन वे तुम्हारे साथ कुछ भी नहीं करतीं, वे निष्क्रिय सहभागी बनी रहती हैं।

ऐसा क्यों होता है? क्यों सारी दुनिया में पुरुष स्त्रियों को इस तरह दबाते हैं?कारण भय है। क्योंकि एक बार अगर स्त्री का शरीर पूरी तरह कामाविष्ट हो जाए तो पुरुष के लिए उसे संतुष्ट करना बहुत कठिनहो जाएगा।

क्योंकि स्त्री एक श्रृंखला में, एक के बाद एक अनेक बार ऑर्गैज्म के शिखर को उपलब्ध हो सकती है, पुरुष वैसा नहीं हो सकता।पुरुष एक बार ही ऑर्गैज्म के शिखर - अनुभव को छू सकता है, स्त्री अनेक बार छू सकती है। स्त्रियों के ऐसे अनुभव के अनेकविवरण मिले हैं।

कोई भी स्त्री एक श्रृंखला में तीन - तीन बार शिखर - अनुभव को प्राप्त हो सकती है, लेकिन पुरुष एक बार ही हो सकता है। सच तो यह है कि पुरुष के शिखर - अनुभव से स्त्री और - और शिखर - अनुभव के लिए उत्तेजित होती है, तैयार होती है। तब बात कठिन हो जाती है। फिर क्या किया जाए?स्त्री को तुरंत दूसरे पुरुष की जरूरत पड़जाती है। और सामूहिक कामाचार निषिद्ध है।

सारी दुनिया में हमने एक विवाह वाले समाज बना रखे हैं। हमें लगता है कि स्त्री का दमन करना बेहतर है। फलत: अस्सी से नब्बे प्रतिशत स्त्रियां शिखर - अनुभव से वंचित रह जाती हैं। वे बच्चों को जन्म दे सकती हैं, यह और बात है। वे पुरुषों को तृप्त कर सकती हैं, यह भी और बात है।

लेकिन वे स्वयं कभी तृप्त नहीं हो पातीं। अगर सारी दुनिया की स्त्रियां इतनी कड़वाहट से भरी हैं, दुखी हैं, चिड़चिड़ी हैं, हताश अनुभव करती हैं तो यह स्वाभाविक है। उनकी बुनियादी जरूरत पूरीनहीं होती।
~ ओशो ~
(तंत्र सूत्र, भाग #3, प्रवचन #33)

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