NEWS UPDATE

Blogger Tips and TricksLatest Tips And TricksBlogger Tricks

Sunday, 13 March 2016

भीतर 'ध्यान' का दिया जला हो

भीतर 'ध्यान' का दिया जला हो तो तुमचाहे पहाड़ पर रहो या बाज़ार में, कोई अंतरनहीं पड़ता, तुम्हारे पास 'ध्यान' हो तो कोईगाली तुम्हे छूती नहीं ! ना अपमान, ना सम्मान,ना यश, ना अपयश, कुछ भी नहीं छूता।अंगारा नदी में फेंक कर देखो, जब तकनदी को नहीं छुआ तभी तक अंगारा है,नदी को छूते ही बुझ जाता हैं।तुम्हारे ध्यान की नदी में, सब गालियाँ, अपमान,छूते ही मिटजाते हैं। तुम दूर अछूते खड़े रह जाते हो।इसी को परम स्वतंत्रता कहते हैं ! जब बाहरकी कोई वस्तु, व्यक्ति, क्रिया, तुम्हारे भीतरकी शान्ति और शून्य को डिगाने में अक्षमहो जाती है।
तब जीवन एक आनंद हो जाता है।

            ओशो

No comments:

Post a Comment