मैं तो वृक्ष पर हीबैठा था और शरीर नीचे गिरा था और मुझे दिखाईपड़ रहा था कि वह नीचे गिर गया है। सिर्फ एकरजत-रज्जु, एक सिलवर कॉर्ड नाभि से और मुझ तकजुड़ी हुई थी। एक अत्यंत चमकदार शुभ्र रेखा। कुछ भीसमझ के बाहर था कि अब क्या होगा? कैसे वापसलौटूंगा?
कितनी देर यह अवस्था रही, वह भी पता नहीं।लेकिन अपूर्व अनुभव हुआ। शरीर के बाहर सेपहलीदफा देखा शरीर को। और शरीर उसी दिन से समाप्तहो गया। मौत उसी दिन से खतम हो गई। क्योंकिएक और देह दिखाई पड़ी जो शरीर से भिन्न है।
एकऔर सूक्ष्म शरीर का अनुभव हुआ। कितनी देरयह रहा,कहना मुश्किल है। सुबह होतेऱ्होते दो औरतें वहां सेनिकलीं दूध लेकर किसी गांव से, और उन्होंने आकरपड़ा हुआ शरीर देखा। वह मैं देख रहा हूं ऊपर से कि वेकरीब आकर बैठ गई हैं। कोई मर गया! और उन्होंने सिरपर हाथ रखा--और एक क्षण में जैसे तीव्र आकर्षण से मैंवापस अपने शरीर में आ गया और आंख खुल गई।
तब एक दूसरा अनुभव भी हुआ। वह दूसरा अनुभव यहहुआ कि स्त्री पुरुष के शरीर में एक कीमिया औरकेमिकल चेंज पैदा कर सकती है और पुरुष स्त्री केशरीर में एक केमिकल चेंज पैदा कर सकता है। यह भीखयाल हुआ कि उस स्त्री का छूना और मेरा वापसलौट आना, यह कैसे हो गया! फिर तो बहुत अनुभव हुएइस बात के और तब मुझे समझ में आया कि हिंदुस्तान मेंजिन तांत्रिकों ने समाधि पर और मृत्यु परसर्वाधिकप्रयोग किए थे, उन्होंने क्यों स्त्रियों को भी अपनेसाथ बांध लिया था।
क्योंकि गहरी समाधि केप्रयोग में अगर शरीर के बाहर तेजस शरीर चला गयाहै, सूक्ष्म शरीर चला गया है, तो बिना स्त्री कीसहायता के पुरुष के तेजस शरीर को वापस नहींलौटाया जा सकता। या स्त्री का तेजस शरीर अगरबाहर चला गया है, तो बिना पुरुष की सहायताकेउसे वापस नहीं लौटाया जा सकता।
स्त्री औरपुरुषके शरीर के मिलते ही एक विद्युत वृत्त, एकइलेक्ट्रिकसर्किल पूरा हो जाता है और वह जो बाहर निकलगई है चेतना, तीव्रता से भीतर वापस लौट आती है।फिर तो छह महीने में कोई छह बार वह अनुभव हुआनिरंतर, और छह महीने में मुझे अनुभव हुआ कि मेरी उम्रकम से कम दस वर्ष कम हो गई। दस वर्ष कम हो गईमतलब, अगर मैं सत्तर साल जीता तो अब साठ हीसाल जी सकूंगा। छह महीने में एक अजीब-अजीब सेअनुभव हुए। छाती के सारे बाल मेरे सफेद हो गए छहमहीने के भीतर।
मेरी समझ के बाहर हुआ कि यह क्याहो रहा है!और तब यह भी खयाल आया कि इस शरीर और उसशरीर के बीच के संबंध में व्याघात पड़ गया है, उनदोनों का जो तालमेल था वह टूट गया है। और तब मुझेयह भी समझ में आया कि शंकराचार्य का तैंतीससाल की उम्र में मर जाना या विवेकानंद काछत्तीस साल की उम्र में मर जाना कुछ और हीकारण रखता है। अगर ये दोनों के संबंध बहुत तीव्रतासे टूट जाएं, तो जीना मुश्किल है। और तब मुझे यह भीखयाल में आया कि रामकृष्ण का बहुत बीमारियों सेघिरे रहना और रमण का कैंसर से मर जाने का भीकारण शारीरिक नहीं है, उस बीच के तालमेल का टूटजाना ही कारण है।
लोग आमतौर से कहते हैं कि योगी बहुत स्वस्थ होतेहैं, लेकिन सचाई बिलकुल उलटी है। सचाई आज तक यहहै कि योगी हमेशा रुग्ण रहा है और कम उम्रमें मरतारहा है। और उसका कुल कारण इतना है कि उन दोनोंशरीर के बीच जो एडजेस्टमेंट चाहिए, जो तालमेलचाहिए, उसमें विघ्न पड़ जाता है। जैसे ही एक बारवह शरीर बाहर हुआ, फिर ठीक से पूरी तरह कभी भीपूरी अवस्था में भीतर प्रविष्ट नहीं हो पाता है।लेकिन उसकी कोई जरूरत भी नहीं रह जाती, उसकाकोई प्रयोजन भी नहीं रह जाता, उसका कोई अर्थभी नहीं रह जाता है।
"ஜ ۩۞۩ ஜ
ओशो
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