" जय भीम "
मत भूलिये बाबा साहब को उस इंसान को न भूलिये, जिसने संविधान बनाया था !
जानवरों से बदतर थे हम, उसने हमे इन्सान बनाया था !!
न पढने का हक था, न लिखने का हक था हमें !
न जीने की आजादी थी, न मरने का हवा था हमें !!
खुद चप्पलो पर बैठकर पढे और हमें विद्वान बनाया था !
उस इन्सान को न भूलिये, जिसने संविधान बनायाथा !!
वो भी जी सकते थे, एक आम इंसान की तरह!
जैसे आजकल हम जीते है, एक दूसरे से अंजान की तरह !!
लेकिन उसने दबाकर अपने अरमानो की,
दिल में हमारे लिए कुछ करने का अरमान जगाया था !
उस इंसान को न भूलिये, जिसने संविधान बनाया था !!
किया था सामना सारे जमाने का, सोचिए कितनी हिम्मत थी उसमें !
सबसे आगे निकल गया निहत्था, सोचिए कितनी ताकत थी उसमें !!
अपने उद्देश्य के लिए द्रढ इच्छा व द्रढ सन्कल्प और कलम को उसने हथियारबनाया था !
उस इंसान को न भूलिए, जिसने संविधान बनाया था !!
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